Nomyun Gyawi Prayer
(नोमयुन ज्ञ्यावी)
नोमयून ज्ञ्यावीलाई नमोः ।। नोमयुन ज्ञ्यावी वेइची फवोइ ।।
१. शैवेईथवा वयूण णेग्य ज्ञ्यूङशै त्रिआसेइ ।।
२. लंशवै म्रेविदसेइ पय ङज्ञ्यूक ज्ञंधुग्यसेइ ज्ञोञिमचिल णीढ छओशै ।।
३. ञमरथंप वेईचि णोम गथिग शै गुसुय्य ।।
४. णेग्य पंञ त्रज्ञटो एदोवोई छओशै ।।
५. एज्ञ्यो वेइचि ञोध लप्गो पछृण उहेधुग लप्क्षो ।।
६. त्रोमफशै वलिणथंप गृन्त वैज्ञिधप लप्गशै गुसुय्य ।।
७. शेवैई ञोप्द ज्ञ्यूमिओशै ।।
८. न्वभ यम्णूप मोस्धेची णुंगृ त्रिच एघवुइओशै ।।
९. ज्ञञेत्वैई उलङसेइ म्रेविद वयूण ।।
१०. यप्वैई एअफसेइ लंशवै म्रेविद निञुर लप्गो ।।
११. ङधुग पय णेज्ञ्यूशै पंञ त्रज्ञटो युनुफ णीढ छओशै ।।
१२. नोमयून ज्ञ्यावीवेइचि शेक, ज्ञिण, यिङविइ कोत्रण त्रपोश गसग लप्क्षत्रो ।।
१३. नल्निघश शप्सो पय भुज्ञ्यणयिग ञेप थोगशै गुसुय्य ।।
१४. वकश त्रथोष पय वकश सेप्ल णेज्ञफ लप्गी ओङु ।।
१५. उगोणपङ लप्क्षो धथेगे पय लप्गो वथेगी छओशै वेइचि ।।
१६. शपङेवि धुज्ञि उणोण मेत्प णेज्ञफ लप्गी ओङु ।।
१७. फुधवुइन नेञूङथंपशै त्रञुशशै पछृण स्वश्यग ।।
१८. वैज्ञिधप नेन्मु गघटोग्खेव ओयाङो पछृण पय स्वश्यगशै ।।
१९. क्षीव नंघचनुशै एज्ञिधपयिग शोस्य थोगशै गुसुय्य ।।
२०. ओङ यिङविइ यकूचसेइ वुग थिअग ।।
२१. सोन्वा येन्ग्ये येन्ग्ये निग्मा निग्मा देन्पो देन्पो दोवान्सो ।।
२२. यकूचप लङोफ धोञ यूप्णृत लप्गुशै णेश्यु विइ ।।
२३. नृर्घष त्यनक्ष, ञुव कुन्ञूशै क्षोमयिग शोस्य घटो ।।
२४. धेथू एशोपत्रयथंप ञेब गृन्त एङो घटो ।।
२५. क्षीव एज्ञिधपयिग सोश्य घटो क्षीव ञङेक एङो थिअग ।।
२६. षेधक फेवोङ णिफ पय चसेच्य क्षूणेथंपसेइ ।।
२७. नोत्र वकश त्रथोषशै उलोणपङ लप्क्षो नेञूङथंप वेइचि ।।
२८. नोमयून ज्ञ्यावी विइ ओङ त्रयू कशेवोई ।।
२९. नोत्र ञभि लप्गो वोइन्त्रो णेज्ञफ लप्गी ओङु ।।
३०. यवुत्क्षय धेथू शेप्कथंप ञेम्प सेवि खच्यू ।।
३१. नुवफ नुवटोश्णप पंञृवि धेथू एङो थिअग ।।
३२. नोमयून ज्ञ्यावीशै लङोफ धोञसेइ ञोदुग लप्गो ।।
३३. भोज्ञृण लोपंशै वोइन्त्रो ञेब गृन्त वत्रो थिअग ।।
नोमयून ज्ञावी प्रार्थना
कोलाहल रहित शान्त डाँडाको छेउमा
रातो, पहेंलो र काया स्वेत आसान्मा विराजमान हुनुभएको
शिष्यहरुलाई भय नहुनुको निमित्त
शान्त रुप दर्शाई उभिनु भएको
आफुलाई रीस वाधा अड्चन गर्ने
दुष्टको समुहहरु शिघ्र निवारण गर्नुको निमित्त
कालो जटा फिजाएको
चन्द्रमण्डल खुम्चाई आँखिभौं उचालिएको
माथिल्लो अङ्ग्मा बस्त्र रहित
तल्लो अङ्ग्मा पहेंलो बस्त्र धारण गरी
क्रोध र शान्तिको रुप दर्शाई असिन हुनुभएको
नोमयून ज्ञावीलाई काया, वाक, चित्तले आदर पुर्वक नमन् गर्दछु।
संसारिक कर्म र दु:खबाट पार हुनको निमित्त
सत्य धर्म र सत्य मार्ग प्रदान गर्नुहोसु।
अनुसरण गर्न चहाने र गरिरहनु भएकोलाई
करुणाले सेवा अटुट्साथ प्रदान गर्नुहोस।
विचलित प्राणीहरुको क्षणीकको बाधा अड्चन र
निरवाना प्राप्ति नभईन्जेल आउने बाधा र अड्चनको
दुई किसिमको आवरणबाट मुक्त हुनको निमित्त
एकचित्तले यसमा लिन होउन्
सोनवा येंग्ये येंग्ये निग्मा निग्मा देन्पो देन्पो दोवान्सो।
यसरी ध्यान जप र प्रार्थना गरेको शक्तिले
जन्म, वृद्ध, मृत्युको भय बाट मुक्त भई
सबै आकांक्षाहरु यथाशिघ्र परिपूर्ण भई
दुई आवरण बाट मुक्त भई दुई पुण्य पूर्ण होउन्।
स्थान, समय, काल र समस्त दिशाहरुमा
सदा सत्य धर्मको अनुसरण गर्ने प्राणीहरुलाई
नोमयून ज्ञावीले एक क्षण पनि नत्यागी
सदा रक्षा गरी सिद्धि प्रदान गर्नुहोस्।
परिश्रम सवै कार्यहरु स्वेतपक्ष जुन जस्तै
क्रमश क्रमबद्धरुपले सबै भरिपुर्ण होउन्
नोमयून ज्ञावीको ध्यान, जपमा प्रवेश होउन्
देव गुरुको सिद्धि यथाशिघ्र लाभ होउन्।
नोमयून ज्ञावी प्रार्थना
कोलाहल रहित शान्त पहाड़ की छांव मे
लाल पीली काया श्वेत आसन पर विराजमान हो कर
शिष्यों को भयभीत न करने के निमित्त
शांत रुप दर्शाकर खड़े हुए
स्वयं को क्रोधित करके बाधा अड़चना करने वाले
दुष्टों के समुहों का शिघ्र निवारण करने के निमित्त
काली जटा फैलाये हुए
चन्द्रमण्डल की त्योड़ियां, आंखों की भौंहो को उठाए
उपर के अंग वस्त्र रहित
नीचे के अंगों पर पीले वस्त्र धारण करके
क्रोधित व शांत रुप दिखाकर आसीन हुए
नोमयून ज्ञावी को मैं काया वाक चित से आदर पुर्वक नमन करता हूँ।
संसारिक कर्म और दु:ख से पार पाने के निमित्त
सत्य धर्म और सत्य मार्ग प्रदान करो।
अनुसरण करने की चाह रखने वाले और जो कर रहे हैं
करुणा करके सेवा व अटूट साथ प्रदान करें।
विचलित प्राणियों की क्षणीक बाधा अड़चना और
निर्वाण प्राप्ति न होने तक आने वाली बाधा और अड़चना
दो किस्म के आवरण से मुक्त होने के निमित्त
एक चित के साथ इस मे लीन हो
सोनवा येन्ग्य येन्ग्य निग्मा निग्मा देन्पो देन्पो दोवान्सो
इसकी ध्यान जप और प्रार्थना की शक्ति से
जन्म, वृद्धावस्था, रोग, मृत्यु के भय से मुक्त होकर
सभी आकांक्षाऐं यथाशिघ्र परिपूर्ण होकर
दो आवरणो से मुक्त होकर, दो पुण्य पूर्ण हो।
स्थान, समय, काल और सब दिशाओं में
सदा सत्य धर्म का अनुसरण करने वाले प्राणियों को
नोमयून ज्ञावी एक क्षण भी न त्याग करें
सदा रक्षा करके सिद्धि प्रदान करें।
परिश्रम से सभी कार्य श्वेतपक्ष के चन्द्रमा के जैसे
क्रमशः क्रमबद्ध रुप से सभी परिपुर्ण हों
नोमयून ज्ञावी के ध्यान, जप में प्रवेश हों
देव गुरु की सिद्धि से यथाशिघ्र लाभ हों।
Nomyun Gyawi Prayer
I bow in respect through body speech and Chitta (Mind) with folded hands pressed together gently before Nomyun Gyawi
Red and yellow body, standing on a white aasana (Mat)
Under the shade of a peaceful mountain without noisy disturbance
Standing showing a calm appearance that the disciples not feel frightened
Spreading black tresses to find complete early solution to the groups of miscreants self-angering creating obstacles
Skin on the forehead pulled together to form a moon crescent
Raising the eyebrows
No robes on the upper parts of the body
Wrapping yellow cloth on the lower parts
Standing showing an angry and calm appearance.
Kindly provide Satya Dharma and Satya Marga in order to cross over the worldly karmas and sufferings
Kindly provide service (provide us chance to serve) and inseparable companionship
In order to get liberated from momentary obstacles and the obstacles that are encountered till one achieves Nirvana, to get liberated from two types of veils/disguises/illusions, get absorbed single mindedly in this (Mantra)
Sonwa Yengye Yengye Nigma Nigma Denpo Denpo Dowanso
With the power of meditation, chanting and praying on this Mantra, may one accomplish two Punya by getting liberated from two veils/disguises/illusions, getting liberated from the fear of birth, old age, disease and death, fulfilling all the wishes at the earliest!
Protecting the living beings who are always following Satya Dharma in all the places, time, periods and directions, may Nomyun Gyawi provide Siddhi to them, never renouncing them even for a moment!
May all diligent efforts get accomplished like the waxing moon one by one
May all get absorbed in Nomyun Gyawi meditation, and Japa (Chanting)
May everyone get benefitted by the Siddhi of Deva Guru!